अणु (molecule) : रासायनिक संयोजन का, उसके संगठन (composition) तथा रासायनिक गुणधर्मों को प्रतिबिंबित करने वाला सबसे छोटा मौलिक (fundamental) इकाई। रासायनिक प्रक्रिया में यह कण भाग लेता है। अणु का विभाजन होने पर मूल पदार्थ की तुलना में भिन्न संगठन और भिन्न रासायनिक गुणधर्मों वाले कण या परमाणु मिलते हैं।
जब परमाणु एक-दूसरे के पास आते हैं, तो उनके ऋणभारवाले इलेक्ट्रॉन बादल (कक्षकों, orbitals) के बीच तथा इन बादलों की उनके धनभारवाले केंद्र (nucleus) के साथ पारस्परिक क्रिया होती है। इस क्रिया के परिणामस्वरूप सम्पूर्ण प्रणाली की ऊर्जा में कमी आती है, तो परमाणुओं के बीच रासायनिक बंध संभव हो जाता है और अणु का निर्माण होता है। अणु में परमाणु रासायनिक बंधरूपी मजबूत बलों से जुड़े होते हैं और यह एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य करता है।
उम्दा (noble) गैसों के अणु में केवल एक ही परमाणु होता है। इसलिए ये अणु एक-परमाणुक (monatomic) अणु कहलाते हैं (जैसे He, Ne)। सामान्य गैसों के अणु में दो परमाणु होते हैं (जैसे O2, N2)। ऐसे अणु समकेन्द्रित द्विपरमाणुक (homonuclear diatomic) अणु कहलाते हैं। दो भिन्न परमाणु वाले अणु विषमकेन्द्रित द्विपरमाणुक (hetero-nuclear diatomic) अणु कहलाते हैं (जैसे HCl)। दो से अधिक परमाणु वाले अणु बहुपरमाणुक (polyatomic) अणु कहलाते हैं (जैसे CO2, C5H12)। बहुलकों (polymers) के अणुओं में हजारों परमाणु व्यवस्थित होते हैं।
किसी भी अणु में उपस्थित परमाणुओं का अनुपात निश्चित होता है। उदाहरण के लिए, पानी (H2O) के अणु में हमेशा ऑक्सीजन के एक परमाणु के साथ हाइड्रोजन के दो परमाणु जुड़े होते हैं। परमाणु एक से अधिक अनुपात में जुड़कर एक से अधिक प्रकार के अणु बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन के दो परमाणु, ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के साथ जुड़कर हाइड्रोजन पेरॉक्साइड (H2O2) का अणु बनाते हैं।
विभिन्न परमाणुओं का एक ही अनुपात रखने वाले एक से अधिक प्रकार के अणु संभव हैं। ऐसा होने का कारण अणु में उपस्थित परमाणुओं की व्यवस्था में भिन्नता है। उदाहरण के लिए, दो कार्बन, दो ऑक्सीजन और छह हाइड्रोजन दो प्रकार से व्यवस्थित हो सकते हैं, जिससे दो प्रकार के अणु और इसलिए दो प्रकार के पदार्थ संभव हैं: (1) एथिल अल्कोहॉल (CH3CH2OH) और (2) डाई मिथाइल ईथर (CH3OCH3)। दोनों का अणुसूत्र समान C2H6O है। इस घटना को समघटकता (isomerism) कहते हैं। इस प्रकार अणु में परमाणुओं की व्यवस्था पदार्थ के गुणधर्मों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा, अणुओं की व्यवस्था पदार्थ के स्थूल गुणों को भी निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पानी तरल है, क्योंकि पानी में उसके अणु झुंड रूप में [(H2O)n] होते हैं। रेसाएँ, रबर आदि के विशिष्ट गुण उनमें उपस्थित अणुओं की विशिष्ट व्यवस्था के कारण होते हैं।
सभी पदार्थों में स्पष्ट (distinct) अणु उपस्थित नहीं होते। उदाहरण के लिए, नमक के स्फटिकों में प्रत्येक सोडियम आयन (Na+) छह क्लोराइड आयन (Cl–) से घिरा होता है और प्रत्येक क्लोराइड आयन छह सोडियम आयन से घिरा होता है। इस संरचना में NaCl जैसा समूह (aggregate) अस्तित्व में नहीं होता। ऐसे पदार्थों का सूत्र उनमें उपस्थित परमाणुओं का अनुपात दर्शाता है; उदाहरण के लिए, NaCl।
अणु में उपस्थित परमाणुओं के बीच के रासायनिक बंध की लंबाई तथा बंधों के बीच के कोण महत्वपूर्ण हैं। इनके आधार पर अणु का आकार निर्धारित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, H2 में HH दूरी 0.74 Å है और H2O में HOH कोण 104° है। अणु में परमाणुओं को अलग करने के लिए रासायनिक बंध तोड़ने पड़ते हैं और इसके लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, H2 के अणु के दो H परमाणुओं को अलग करने के लिए 104 किलोकैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अणु की संरचना-आकार के अध्ययन में स्पेक्ट्रोस्कोपी बहुत उपयोगी है।
अणु भार, अणु में उपस्थित घटकों के परमाणु भार के जोड़ के बराबर होता है। उदाहरण के लिए, अमोनिया (NH3) का अणु भार 1 × 14 + 3 × 1 = 17 है। यानी 17 ग्राम, अमोनिया का एक ग्राम अणु भार या एक मोल है।
रासायनिक प्रक्रिया में अणुओं में उपस्थित परमाणु अलग होकर नवीन अणु बनाते हैं।