अनुराग कश्यप

अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap)

मनोरंजन

अनुराग कश्यप भारतीय सिनेमा के प्रमुख निर्देशक, लेखक, और निर्माता हैं, जिन्होंने अपनी विशिष्ट शैली और गहन विषयवस्तु के लिए एक विशेष पहचान बनाई है। उनके करियर की शुरुआत छोटे कदमों से हुई, लेकिन समय के साथ उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक मजबूत स्थान बनाया है।

अनुराग कश्यपका प्रारंभिक जीवन

अनुराग कश्यपका जन्म गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था (10 सितंबर 1972)। अनुराग को मौजूदा समय का अग्रणी प्रयोगात्मक फिल्म निर्देशक माना जाता है। उनके पिता का नाम श्रीप्रकाश सिंह है. अनुराग ने अपनी प्राथमिक शिक्षा देहरादून के ग्रीन स्कूल और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से की। वैज्ञानिक बनने की प्रारंभिक इच्छा के साथ, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज, दिल्ली से प्राणीशास्त्र में स्नातक (1993) किया। अभिनय के प्रति अपने जुनून के कारण उन्होंने कई नुक्कड़ नाटकों में भाग लिया था। वह फिल्म साइकिल थीव्स से प्रभावित हुए, जिसे उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में देखा था। फिल्म निर्देशक बनने का फैसला करने के बाद वह मुंबई आ गये।

मुंबई आ जाने के बाद दूरदर्शन के लिए कुछ धारावाहिक (कभी-कभी -1997) लिखने के बाद, अनुराग को अभिनेता मनोज वाजपेयी के परिचित के माध्यम से प्रसिद्ध निर्देशक राम गोपाल वर्मा की सत्या (1998) के लिए सह-लेखक के रूप में काम करने का अवसर मिला। यह फिल्म मुंबई की आपराधिक दुनिया पर आधारित थी। इसे खूब प्रचार मिला. सत्या को सर्वश्रेष्ठ भारतीय अपराध सिंडिकेट में से एक माना जाता है।

इसके बाद उन्होंने फिल्म कौन के लेखन और फिल्म शूल (1999) के संवाद लिखने में राम गोपाल वर्मा की सहायता की। उन्होंने प्रसिद्ध निर्देशक मणिरत्नम की 2004 की फिल्म युवा के लिए संवाद लिखे। अनुराग ने दीपा मेहता द्वारा निर्देशित विवादास्पद फिल्म वॉटर (2005) के लिए संवाद भी लिखे।

अनुराग कश्यप की फिल्में (Anurag Kashyap Movies)

अनुराग कश्यप की फिल्में अक्सर समाज, राजनीति, और मानव व्यवहार की गहरी पड़ताल करती हैं। अनुराग कश्यप की फिल्मों में उनकी अनूठी कहानी कहने की शैली, प्रामाणिकता, और वास्तविकता का विशेष स्थान है। अनुराग कश्यप की फिल्में –  निर्मित फिल्में : ब्लैक फ्राइडे (2004), नो स्मोकिंग (2004), देवदास (2009),गुलाल (2009), दैट गर्ल इन येलो बूट्स (2011), गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012); निर्देशित फिल्में : पंच (2003), ‘देवदास’ (2009), बॉम्बे टॉकीज़ (2013), अग्ली (2014), बॉम्बे वेलवेट (2015), रमन राघव 2.0 (2016); अभिनीत फिल्में : लक बाय चांस, तृष्णा,भूतनाथ रिटर्न्स, आई एम, शागिर्द, अकीरा; लिखित सह-लिखित फिल्में : धारावाहिक (कभी-कभी -1997),सत्या (1998),कौन,शूल (1999), युवा (2004), वॉटर (2005).

निर्मित फिल्में

ब्लैक फ्राइडे (2004)

ब्लैक फ्राइडे (2004) अनुराग कश्यप की पहली फिल्म है जो 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों पर आधारित है। आपराधिक दुनिया पर रिपोर्टिंग करने वाले मशहूर पत्रकार एस. हुसैन जैदी ने 1993 के मुंबई बम विस्फोट श्रृंखला पर आधारित पुस्तक ब्लैक फ्राइडे (2002) लिखी। इस पर आधारित अनुराग ने इसी नाम की फिल्म (2004) बनाई थी। फिल्म में घटनाओं का वास्तविक और विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें पुलिस जांच, आतंकवादियों की कहानी, और धमाकों के पीड़ितों की दुर्दशा शामिल है।मुंबई विस्फोट मामले का फैसला आने तक केंद्रीय सेंसरशिप बोर्ड ने फिल्म पर तीन साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। 2007 में रिलीज हुई इस फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा। फिल्म की सराहना इसके यथार्थवादी दृष्टिकोण और गहन अनुसंधान के लिए की गई। यह एक महत्वपूर्ण फिल्म थी जिसने अनुराग कश्यप को एक गंभीर फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित किया।

नो स्मोकिंग (2004)

नो स्मोकिंग यह एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है जिसमें मुख्य भूमिका में जॉन अब्राहम हैं। फिल्म एक आदमी की कहानी है जो धूम्रपान छोड़ने का प्रयास करता है और इसके लिए एक रहस्यमय संस्थान में जाता है। फिल्म को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, लेकिन इसके अनोखे दृष्टिकोण की सराहना की गई। हालांकि इस को दर्शकों और समीक्षकों ने नकार दिया। यह फिल्म अमेरिकी रहस्य लेखक स्टीफन किंग की एक लघु कहानी से प्रेरित थी।

देवदास (2009)

2009 में, उन्होंने देव डी के आधुनिक अवतार ‘देवदास’ की पटकथा, निर्देशन और अभिनय किया, जिसे दर्शकों और आलोचकों द्वारा समान रूप से सराहा गया। इस फिल्म को उन्होंने लिखा भी था. यह शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास ‘देवदास’ का एक आधुनिक संस्करण है। फिल्म में अभय देओल, माही गिल और कल्कि कोचलिन मुख्य भूमिकाओं में हैं। कश्यप ने इस क्लासिक कहानी को आधुनिक संदर्भ में ढाला है, जिसमें प्रेम, नशा, और आत्म-विनाश के तत्व शामिल हैं। फिल्म की अनूठी सिनेमैटोग्राफी और संगीत ने इसे एक कल्ट फिल्म बना दिया।

गुलाल (2009)

गुलाल फिल्म राजस्थान की पृष्ठभूमि पर बनी है और इसमें छात्र राजनीति, जातिवाद, और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया गया है। फिल्म में के.के. मेनन, राज सिंह चौधरी, और अभिमन्यु सिंह ने प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।फिल्म को आलोचकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और इसे एक महत्वपूर्ण फिल्म माना जाता है। फिल्म को समीक्षकों ने तो खूब सराहा, लेकिन दर्शकों ने इससे मुंह मोड़ लिया।

दैट गर्ल इन येलो बूट्स (2011)

यह फिल्म एक ब्रिटिश-भारतीय महिला की कहानी है जो भारत में अपने पिता की खोज में आती है। यह फिल्म अनुराग कश्यप की पत्नी कल्कि कोचलिन के साथ मिलकर लिखी गई है और इसमें उन्होंने मुख्य भूमिका भी निभाई है। फिल्म को केवल ग्यारह दिनों में पूरी तरह से शूट किया गया था, जिसे समीक्षकों द्वारा सराहा गया था।

गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012)

गैंग्स ऑफ वासेपुर दो भागों में बनी एक आपराधिक गाथा है जो बिहार के धनबाद क्षेत्र में कोयला माफिया और गैंगवार की कहानी बताती है। फिल्म को अपार सफलता और सराहना मिली और यह अनुराग कश्यप की सबसे प्रमुख फिल्मों में से एक मानी जाती है।  फिल्म में तीन पीढ़ियों की कहानी है जो बदला, राजनीति, और आपराधिक गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें मनोज वाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, हुमा कुरैशी, और ऋचा चड्ढा जैसे प्रमुख कलाकार शामिल हैं। इस फिल्म ने कश्यप को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई और भारतीय सिनेमा में एक नया आयाम जोड़ा। फ़िल्मों को टोरंटो, वेनिस, लॉस एंजिल्स और लंदन में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया।

निर्देशित फिल्में

पंच (2003)

निर्देशक के रूप में अनुराग की पहली फिल्म पंच (2003) है, जो पुणे के प्रसिद्ध जोशी-अभ्यंकर हत्याकांड पर आधारित है। यह एक रॉक बैंड की कहानी है जो अपराध की दुनिया में फंस जाता है। हालांकि फिल्म को सेंसर बोर्ड से समस्या का सामना करना पड़ा, केंद्रीय निरीक्षण समिति (सेंसर बोर्ड) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण इसका प्रदर्शन नहीं हो सका।  लेकिन यह एक महत्वपूर्ण फिल्म मानी जाती है जिसने कश्यप को एक सशक्त निर्देशक के रूप में पेश किया।

बॉम्बे टॉकीज़ (2013)

बॉम्बे टॉकीज़ यह चार अलग-अलग कहानियों का संग्रह है, जिसमें एक कहानी अनुराग कश्यप ने निर्देशित की है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा के 100 साल पूरे होने के अवसर पर बनाई गई थी।

अग्ली (2014)

अग्ली  एक गहन और अंधकारमय थ्रिलर है जो एक बच्चे के अपहरण की कहानी पर आधारित है। “अग्ली” एक थ्रिलर ड्रामा फिल्म है जो मानव संबंधों की जटिलताओं और सामाजिक मुद्दों को उजागर करती है। फिल्म की कहानी एक छोटी लड़की के अपहरण के इर्द-गिर्द घूमती है और इसमें विभिन्न पात्रों की काली सच्चाई सामने आती है। फिल्म में राहुल भट्ट, रोनित रॉय, और तेजस्विनी कोल्हापुरे ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं।

बॉम्बे वेलवेट (2015)

बॉम्बे वेलवेट फिल्म 1960 के दशक के बॉम्बे की कहानी है और इसमें रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिकाओं में हैं। हालांकि फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली, लेकिन इसकी प्रोडक्शन वैल्यू और सेट डिज़ाइन की सराहना की गई।

रमन राघव 2.0 (2016)

रमन राघव यह फिल्म एक सीरियल किलर की कहानी पर आधारित है और इसमें नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और विक्की कौशल मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक सीरियल किलर के बीच के मनोवैज्ञानिक खेल को दर्शाती है। अनुराग कश्यप ने इस फिल्म में मानवीय मन की अंधेरी गहराइयों को उजागर किया है।

मनमर्जियाँ (2018)

मनमर्जियाँ एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसमें तापसी पन्नू, विक्की कौशल, और अभिषेक बच्चन ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। यह फिल्म प्रेम, विवाह, और संबंधों की जटिलताओं को दर्शाती है। अनुराग कश्यप ने इस फिल्म में एक अलग तरह की प्रेम कहानी पेश की है, जो आधुनिक समय की वास्तविकताओं से जुड़ी है।

चोक्ड: पैसा बोलता है (2020)

“चोक्ड: पैसा बोलता है” एक ड्रामा फिल्म है, जो एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी बताती है। फिल्म की मुख्य पात्र एक बैंक कर्मचारी है, जिसे अचानक घर के पाइपलाइन में छिपे हुए पैसे मिलते हैं। फिल्म नोटबंदी और उसके प्रभावों पर भी प्रकाश डालती है।

अभिनीत फिल्में

अनुराग कश्यप ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया है, जिनमें ‘लक बाय चांस’, ‘तृष्णा’, ‘भूतनाथ रिटर्न्स’, ‘आई एम’, ‘शागिर्द’, और ‘अकीरा’ शामिल हैं। उनकी अभिनय की शैली भी उनकी निर्देशकीय दृष्टिकोण की तरह ही अद्वितीय है।

अनुराग कश्यप : फिल्मों के मुख्य आकर्षण

अनुराग ने खासतौर पर फिल्म – न्वॉर जॉनर की फिल्में बनाईं। उनकी फिल्में अक्सर सच्ची घटनाओं से प्रेरित होती हैं। उन्होंने फिल्म की सफलता और दर्शकों की संख्या की चिंता किए बिना विभिन्न विषयों को निपटाया। सेट पर ‘गुरिल्ला फिल्म निर्माण तकनीक’ का उपयोग, छिपे हुए और हाथ से पकड़े जाने वाले कैमरों का उपयोग, संवादों का समय पर सुधार उनकी फिल्म निर्माण शैली की पहचान थी। हिंसा के दृश्य, विचित्र कृत्य करने वाले पात्र, ऐसे पात्रों के मनोविज्ञान का प्रभावी विश्लेषण, अधिकांश फिल्मों में अनदेखी दुनिया में गहरी पैठ, यथार्थवादी चित्रण, संगीत का विशिष्ट उपयोग उनकी फिल्मों के मुख्य आकर्षण हैं।

अनुराग कश्यप फिल्म निर्माण कंपनी

अनुराग ने दो फिल्म निर्माण कंपनियां ‘अनुराग कश्यप फिल्म्स’ और ‘फैंटम फिल्म्स’ स्थापित की हैं। निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने, निर्देशक विकास बहेल और निर्माता मधु मंटेना ‘फैंटम फिल्म्स’ के भागीदार और निर्देशक हैं। अनुराग कश्यप फिल्म्स ने उड़ान, शैतान, चटगांव, अइया, लव शव से लेकर चिकन खुराना, लंचबॉक्स जैसी फिल्में बनाई हैं। जबकि ‘फैंटम फिल्म्स’ ने लुटेरा, हसी तो फसी, क्वीन, मसान, एनएच10, हंटर, फैबियन, उड़ता पंजाब जैसी विविध विषयों पर फिल्में बनाईं।

निर्देशन, पटकथा लेखन और फिल्म निर्माण के अलावा,वह मुंबई के गरीबों और अनाथों के लिए काम करने वाली संस्था आंगन के मानद सदस्य हैं।अनुराग ने प्रसिद्ध फिल्म संपादक आरती बजाज (2009) और अभिनेत्री कल्कि कोचलिन से अलग होने (2013) के बाद शादी की है। लेकिन ये शादी टिक नहीं पाई. निर्देशक अभिनव कश्यप अनुराग के भाई हैं। उनकी बहन अनुभूति कश्यप ने शुरुआती दिनों में उनकी कुछ फिल्मों के लिए सहायक के रूप में काम किया।

पुरस्कार और सम्मान

अनुराग को कान्स फिल्म फेस्टिवल (2013) में फ्रांस सरकार द्वारा नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स (ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेटर्स) से सम्मानित किया गया था। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार (2016) द्वारा यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फिल्म सत्या (1999) के सह-लेखन के लिए स्क्रीन अवार्ड। लघु फिल्म लास्ट ट्रेन टू महाकाली के लिए स्क्रीन अवार्ड (2000)। तीसरे वार्षिक लॉस एंजिल्स भारतीय फिल्म महोत्सव में ब्लैक फ्राइडे के लिए ग्रैंड जूरी पुरस्कार। फिल्म उड़ान की कहानी के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड (2011) मिला। गैंग्स ऑफ वासेपुर के डायलॉग लिखने के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड (2012) जैसे अवॉर्ड मिल चुके हैं। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जूरी के रूप में काम किया है।

अनुराग कश्यप की फिल्में भारतीय सिनेमा में एक विशेष स्थान रखती हैं और उन्होंने अपनी विशिष्ट दृष्टिकोण और गहन विषयवस्तु से दर्शकों और आलोचकों दोनों का दिल जीता है। उनके द्वारा बनाई गई फिल्में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं और उनके द्वारा प्रस्तुत की गई कहानियां दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं।

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