इगुआना (Iguana)

इगुआना (Iguana)

प्राणिविज्ञान

इगुआना : सरीसृप (सरपटने वाले जानवरों के) वर्ग की लैसर्टिलिया गण के इग्वानिडी कुल का यह गिरगिट जैसा, लेकिन उससे बड़ा जीव है। इस कुल के इगुआना वंश के जीव ही असली इगुआना माने जाते हैं। इग्वानिडी कुल के अन्य कुछ वंशों के गिरगिटों को भी इगुआना कहा जाता है।

इगुआना दक्षिण अमेरिका के सभी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों और वेस्ट इंडीज द्वीपों में पाया जाता है। दो प्रजातियाँ गैलापेगोस द्वीपों पर और एक फिजी व फ्रेंडली द्वीपों पर मिलती हैं। दक्षिण अमेरिका के सामान्य इगुआना का वैज्ञानिक नाम इग्वाना इग्वाना है। इसकी एक और प्रजाति इग्वाना डेलिकेटिसिमा है, जो कैरेबियन द्वीपों पर मिलती है।

सामान्य इगुआना

सामान्य इगुआना वृक्षवासी होते हैं और हमेशा पानी के पास के पेड़ों पर रहते हैं। पेड़ों की आड़ी और आगे बढ़ी हुई शाखाओं पर वे धूप सेकते पड़े रहते हैं। संकट के समय पेड़ से पानी में कूदकर यह तैरकर दूर चला जाता है या कुछ समय पानी के नीचे ही रहता है।

पूंछ समेत इनके शरीर की लंबाई 1.8 मीटर होती है, जिसमें से 2/3 पूंछ होती है। पूंछ चपटी होती है और सिरे की ओर पतली हो जाती है। शरीर और पूंछ छोटे शल्कों से पूरी तरह ढके होते हैं। पीठ पर गर्दन से पूंछ के आधार तक भाले जैसे लेकिन नरम और लचीले कांटों की एक पंक्ति होती है। मादा के कांटे नर से छोटे होते हैं। गले की त्वचा से एक थैली लटकी होती है। इगुआना जाति में कान के पर्दे के नीचे एक गोल चकती (वर्म) होती है; डेलिकेटिसिमा जाति में यह नहीं होती। रंग हल्का हरा-भूरा होता है, बाजुओं पर गहरे काले धब्बे और पूंछ पर चौड़ी काली धारियाँ होती हैं। नर के कांटे हल्के गुलाबी होते हैं। मादा सामान्यतः भूरे रंग की होती है। बच्चों का रंग चमकीला हरा होता है।

सामान्य इगुआना शाकाहारी होते हैं। पालतू इग्वाना सेलेरी, लेट्यूस (सलाद पत्ता), केले आदि शौक से खाते हैं। खिलाए जाने पर यह छोटे पक्षी, चूहे, सूंडियाँ आदि भी खा लेते हैं। इगुआना का मांस स्वादिष्ट और रुचिकर होने के कारण बहुत से लोग इसे खाते हैं।

फरवरी से अप्रैल के बीच किसी समय इगुआना की मादा 12-24 अंडे देती है और उन्हें रेत में गाड़ देती है।

गैलापेगोस द्वीपों के किनारों पर सागरी इगुआना रहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम एम्ब्लिरिंकस क्रिस्टेटस है। यह 1.5 मीटर लंबा होता है और उत्कृष्ट तैराक होता है। यह समुद्र की वनस्पतियाँ खाता है। अक्सर समुद्र किनारे के पत्थरों पर इनके बड़े झुंड बैठे रहते हैं।

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