कर्करोग और आनुवंशिकता

कर्करोग और आनुवंशिकता (Cancer and heredity)

वैद्यकशास्त्र

आनुवंशिकता और कर्करोग का संबंध प्राचीन काल से दिखाया गया है। इतिहास में दर्ज है कि नेपोलियन बोनापार्ट पेट के कर्करोग से मरे थे। उनके दादा, पिता, भाई, और बहनों सभी की मृत्यु भी पेट के कर्करोग से हुई थी। पेट के कर्करोग की तरह, डोळे का कर्करोग (रेटिनोब्लास्टोमा), अवटू ग्रंथि का कर्करोग (थायरॉइड), और स्तन का कर्करोग आनुवंशिक हैं।

पालकों से बच्चों तक जीन का संक्रमण होता है, और जीन के कार्य से विभिन्न गुण उत्पन्न होते हैं, जैसे आँखों का रंग, ऊँचाई आदि। जीन या गुणसूत्रों में परिवर्तन से उत्परिवर्तित जीन (Mutated gene) बनते हैं। उत्परिवर्तित जीन दो प्रकार के होते हैं: कर्करोगजन्य जीन (Oncogene) और ट्यूमर दमनकारी जीन (Tumor suppressor gene)। इन दोनों जीनों से कर्करोग उत्पन्न होता है। कर्करोग के रोगियों में से 5-10% आनुवंशिक कर्करोग से पीड़ित होते हैं। युवाओं में कई कर्करोग आनुवंशिक होते हैं। कुछ आनुवंशिक कर्करोग विशिष्ट मानववंश में ही पाए जाते हैं।

जीन से निम्नलिखित कर्करोग उत्पन्न होते हैं:

  1. स्तन का कर्करोग: यह दो जीनों के कारण होता है।
    • स्तन-स्त्रीबीजांड कर्करोग-1 (BRCA-1): इस जीन से संबंधित परिवार की महिलाओं को उनके जीवनकाल में स्तन का कर्करोग होने की 60% और स्त्रीबीजांड का कर्करोग होने की 40-60% संभावना होती है। इस जीन से पीड़ित महिलाओं को नियमित स्तनचिकित्सा (Mammography) और चुंबकीय अनुस्पंदन प्रतिमाचित्रण (MRI) कराना आवश्यक है।
    • स्तन-स्त्रीबीजांड कर्करोग-2 (BRCA-2): इस जीन से संबंधित परिवार की महिलाओं को उनके जीवनकाल में स्तन का कर्करोग होने की 80% और स्त्रीबीजांड का कर्करोग होने की 20% संभावना होती है। इस जीन से त्वचा कर्करोग (Melanoma), स्वादुपिंड (Spleen), पूर:स्थ ग्रंथि (Prostate gland), आतडे और यकृत (Liver) का कर्करोग भी हो सकता है।
  2. बृहदांत्र कर्करोग (Large intestine cancer): इस कर्करोग में बड़े आतड्य की अस्तर पर अनेक अर्श (Polyp) तरुणावस्था में ही दिखते हैं। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो इनमें से एक अर्श कर्करोग में बदल सकता है। यह कर्करोग एपीसी जीन की आनुवंशिकता से होता है। इस जीन की निदान चाचणी की जा सकती है। शस्त्रक्रिया से अर्श या पूरे बृहदांत्र को निकालकर कर्करोग से बचाव किया जा सकता है।
  3. छोटे बच्चे में कर्करोग: कई बार छोटे बच्चों में कर्करोग आनुवंशिकता से अगली पीढ़ी में नहीं जाते।
    • रेटिनोब्लास्टोमा: छोटे बच्चों में आँख का कर्करोग आरबी जीन (Retinoblastoma gene) के कारण होता है। इस जीन से प्रभावित बच्चों में हड्डी, मस्तिष्क, नाक या त्वचा का कर्करोग हो सकता है।
    • लाय-फ्राऊमेनी लक्षणसमूह (Li-Fraumeni syndrome): टीपी-53 जीन (Tumor protein 53) में परिवर्तन के कारण यह कर्करोग होता है। इस जीन से प्रभावित बच्चों में सार्कोमा, रक्त कर्करोग और मस्तिष्क कर्करोग होता है।
  4. अवटू (थायरॉइड) ग्रंथि का कर्करोग: आरइटी जीन (Rearranged during transfection) में परिवर्तन के कारण अवटू ग्रंथि का कर्करोग होता है। इस जीन से परावटू और अधिवृक्क ग्रंथि (फिओक्रोमोसायटोमा) का कर्करोग भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में शस्त्रक्रिया से अवटू ग्रंथि को निकालना उचित होता है।
  5. फोन हिप्पेल लिंदौ लक्षणसमूह (Von Hippel-Lindau syndrome): व्हीएचएल जीन (VHL gene) में परिवर्तन के कारण यह कर्करोग होता है। इस जीन से प्रभावित परिवारों में मूत्रपिंड, अधिवृक्क ग्रंथि, और मस्तिष्क का कर्करोग अधिक होता है। इस लक्षणसमूह का विशेष लक्षण है आँख के पटल पर कर्करोग की गांठ का होना।

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