भारतीय लघुचित्र शैलीं में से एक महत्त्वपूर्ण शैली। इस शैली को ‘सुरपूर लघुचित्र’ (Surpur Miniature Arts) भी कहते हैं। दक्कन क्षेत्र के हैदराबाद में इस चित्रशैली की दो शाखाएं विकसित हुईं। इनमें से एक शोरापुर में और दूसरी कडप्पा (कुरनूल) में विकसित हुई। शोरापुर दक्कन के एक राज्य में से एक था। यहां 1750 के आसपास इस चित्रकला की शुरुआत हुई। महाराष्ट्र के कई संतों की चित्रकृतियां यहां बड़े पैमाने पर चित्रित की गई हैं। यहां के चित्रों में व्यक्तिचित्र, धार्मिक विषयों के चित्र और शैवधर्मीय कथा चित्रों को विशेष महत्त्व दिया गया है।
कर्नाटक के यादगीर जिले के देगाव के गरुडाद्री परिवार यहां के प्रमुख कलाकार थे। उन्हें राजा वेंकटप्पा नायक ने सहायता दी। उनकी कला को राजाश्रय और प्रोत्साहन मिला। बनाइह गरुडाद्री इन में से एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध चित्रकार थे। उन्होंने इस शैली में कई चित्र तैयार किए।
राज नलवाड़ी वेंकटप्पा नायक का शोरापुर चित्रशैली में व्यक्तिचित्र (1857) शोरापुर शैली के शुरुआती काल के चित्रों का रंगांकन सुंदर और रेखांकन उत्कृष्ट है। चित्रों में इस्तेमाल किए गए रंगों में सोने की वर्ख का उपयोग और मैसूर की रंगसंगति की तरह चमकदार रंगकाम महत्वपूर्ण है। बाद के काल के चित्रों में इन तत्वों की कमी महसूस होती है।
चित्रों में पुरुष और स्त्री आकृतियों में महाराष्ट्र की वेशभूषा दिखाई देती है। पुरुषों की वेशभूषा में बारीक लाल किनारे वाली धोती दिखाई देती है, जबकि स्त्रियों ने नौवारी साड़ी और चोली पहनी हुई है।
शोरापुर शैली के चित्रों पर दक्षिण के हैदराबाद की चित्रशैली और नायक परंपरा के चित्रकला का प्रभाव दिखाई देता है। अंग्रेजी शासनकाल के चित्रों में फोटोग्राफी का उपयोग दिखाई देता है। शोरापुर पारंपरिक चित्रकला शैली में शोरापुर के राजा नलवाड़ी वेंकटप्पा नायक का एक फोटो (1857) आकर्षक है। ये बदलाव आखिरी काल के हैं, लेकिन शुरुआती काल के सुरपुर लघुचित्र भारतीय लघुचित्र शैली में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
सुरपुर लघुचित्र सालारजंग संग्रहालय, हैदराबाद; जगमोहन पैलेस, मैसूर; और विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम, लंदन में सुरक्षित रखे गए हैं। डॉ. पटेल, डॉ. प्रधान आदि ने इस शैली पर गहन अध्ययन और प्रोजेक्ट किए हैं।
कडप्पा में विकसित हुई चित्रशैली को कुरनूल की नवाबशाही ने समर्थन दिया। कुरनूल लघुचित्रों (Kurnool painting) में प्रमुखता से नवाब और उसके परिवार के व्यक्तिचित्र देखे जा सकते हैं।
संदर्भ:
Marg (Special No. On Deccani Painting) Vol. No. XVI Part 2, Marg publications, Bombay, 1963.