सलीम अब्दुल राशिद खान का जन्म 24 नवम्बर 1935 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में एक सधन परिवार में हुआ था। वे अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता राशिद अली ब्रिटिश पुलिस सेवा में थे। सलीम खान की माता का निधन उनके बचपन में ही हो गया था, और कुछ साल बाद उनके पिता का भी निधन हो गया। इसके बाद सलीम खान का पालन-पोषण उनके बड़े भाई-बहनों ने किया।
सलीम खान ने इंदौर के होलकर कॉलेज से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। वे अपने कॉलेज के दिनों में क्रिकेट के एक उम्दा खिलाड़ी थे। इसके अलावा उन्होंने वैमानिक बनने का प्रशिक्षण भी लिया था। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के प्रति उनके आकर्षण ने उन्हें मुंबई की ओर खींचा।
सलीम खान का हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश 1960 में फिल्म बारात से हुआ। 1960 से 1970 के दशक में उन्होंने पुलिस डिटेक्टिव, प्रोफेसर, आंधी और तूफान, तीसरी मंजिल, छलिया बाबू जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाए। लेकिन अभिनेता के रूप में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली। 1966 में फिल्म सरहदी लुटेरा के दौरान उनकी मुलाकात जावेद अख्तर से हुई। सलीम खान उस समय लेखक-निर्देशक अबरार अल्वी के सहायक थे, जबकि जावेद अख्तर कैफ़ी आजमी के सहायक थे। दोनों ने अलग-अलग पटकथा लेखन का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
इसके बाद सलीम खान और जावेद अख्तर ने मिलकर पटकथा लेखन शुरू किया। सलीम कहानी और उसकी रचना पर ध्यान देते थे, जबकि जावेद संवाद लेखन में सहायता करते थे। उन्होंने सबसे पहले 1971 में फिल्म अधिकार और अंदाज़ के लिए सलीम-जावेद के नाम से पटकथा लिखी।
प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना ने 1971 में फिल्म हाथी मेरे साथी के लिए सलीम-जावेद को पटकथा लेखक के रूप में मौका दिया। इसके बाद सिप्पी फिल्म्स ने सलीम-जावेद के साथ अनुबंध किया। उन्होंने अंदाज़, सीता और गीता, शोले और डॉन जैसी सफल फिल्मों की पटकथा लिखी। सलीम-जावेद की जोड़ी ने कई सफल फिल्मों की पटकथा लिखी, जिसमें यादों की बारात, जंजीर, हाथ की सफाई, मजबूर, दीवार, त्रिशूल, काला पत्थर, मिस्टर इंडिया, दोस्ताना, क्रांति, शक्ति जैसी फिल्में शामिल हैं।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सलीम-जावेद की जोड़ी अपने अलग लेखन शैली के कारण मशहूर हुई। उनके लिखे संवादों ने अभिनेता अमिताभ बच्चन की ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि को मजबूती दी। उन्होंने पटकथा लेखकों को एक अलग पहचान दिलाई और उनके नाम को फिल्म के विज्ञापन पृष्ठों पर प्रमुखता से छापने का आग्रह किया। सलीम-जावेद की कहानियों में आम आदमी की अन्याय के खिलाफ चिढ़, मसाला फिल्मों के लिए उपयुक्त कथानक और आकर्षक संवाद होते थे।
सलीम-जावेद की जोड़ी को जंजीर और दीवार के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 1982 के बाद सलीम खान और जावेद अख्तर के बीच मतभेद हो गए और उन्होंने अलग होने का निर्णय लिया। विभाजन के बाद सलीम खान ने नाम, अंगारे, कब्जा, तूफान, जुर्म, अकेला, पत्थर के फूल, मझधार जैसी फिल्मों की पटकथा लिखी।
सलीम खान ने 1964 में सुशीला चरक से विवाह किया और उनके चार बच्चे हुए: सलमान खान, अरबाज खान, सोहेल खान, और अलवीरा खान। उनके सभी बच्चे फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं। खासकर सलमान खान आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं। सलीम खान ने अभिनेत्री और प्रसिद्ध नर्तकी हेलन से दूसरा विवाह किया और उनकी एक दत्तक बेटी अर्पिता खान है।
सलीम खान का योगदान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अतुलनीय है। उनके लिखे गए संवाद और कहानियां आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।