गुलाबो सपेरा: अंतरराष्ट्रीय कालबेलिया नृत्यांगना

गुलाबो सपेरा: (1974). अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कालबेलिया नृत्यांगना. गुलाबो सपेरा को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कालबेलिया नर्तक के रूप में जाना जाता है। काबिल्या में कालबेलिया जाति के लोग रहते हैं। कबीले का बुजुर्ग व्यक्ति उनका नेता होता है। विवाह के समय पुरुष कलाकार पुंगी, ढोल बजाते हैं और महिलाएं पैरों में घंटियां बांधकर नृत्य करती […]

Continue Reading
कूडियाट्टम

कूडियाट्टम : केरल की प्राचीन नाट्यकला

केरल की प्राचीन पारंपरिक लोकनाट्य कला। मंदिर के माध्यम से इस कला का प्रचार-प्रसार किया गया है। कूडियाट्टम का अर्थ है नृत्य और अभिनय एक साथ करना। इसमें पुरुष एवं महिला दोनों कलाकार एक साथ नृत्य प्रस्तुत करते हैं। कूडियाट्टम नृत्य के सभी संस्कार संस्कृत नाटकों से हैं। यह संगम युग के प्राचीन प्रदर्शन कोथु […]

Continue Reading

बूंदी चित्रशैली : भारतीय चित्रकला की समृद्ध धरोहर

बूंदी चित्रशैली, राजस्थान की एक प्रमुख और ऐतिहासिक चित्रकला की परंपरा है, जो 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान विकसित हुई। यह चित्रशैली बूंदी रियासत के राजमहल और महलों की दीवारों पर उकेरी गई चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। इसके चित्रों में प्रमुखत: धार्मिक, ऐतिहासिक और दरबारी दृश्यों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया […]

Continue Reading
स्तूप

स्तूप: बौद्ध धर्मीय समाधिस्थान-पूजास्थान वास्तु

स्तूप बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण समाधिस्थान और पूजास्थान वास्तु है। ये ढांचे मुख्य रूप से भगवान बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने और उनकी याद में बनाए जाते हैं। स्तूपों का आकार सामान्यतः गुंबदाकार होता है, जिसमें एक आधार, गोलाकार गुंबद, और शीर्ष पर एक छत्र होता है। यह संरचना न केवल बौद्ध भिक्षुओं के […]

Continue Reading
फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी (fatepur sikri) : वास्तुकला की अकबरी शैली

फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश में स्थित, मुगल सम्राट अकबर द्वारा 16वीं शताब्दी में बसाया गया एक ऐतिहासिक नगर है। यह नगर अकबर की वास्तुकला की उत्कृष्ट शैली का प्रतीक है, जिसे अकबरी शैली कहा जाता है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित, फतेहपुर सीकरी की इमारतें भव्यता और सादगी का अद्भुत संगम हैं। इस नगर में […]

Continue Reading
गोलघुमट (गुंबद)

गोलघुमट (गुंबद) : गूँज का चमत्कार

बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिलशाह (1626-56) द्वारा बीजापुर की राजधानी स्थल पर बनवाया गया मकबरा ‘गोलघुमट’ (गुंबद) के नाम से जाना जाता है। इस घुमट में बोली गई आवाज की गूँज आमतौर पर दस से बारह बार स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती है, इसलिए इसे ‘बोलघुमट’ भी कहा जाता है। मुहम्मद आदिलशाह ने शुरू […]

Continue Reading
कोणार्क सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर : भारत प्रमुख वास्तुशिल्प कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा के कोणार्क में स्थित, भारत का एक प्रमुख वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर है। यह मंदिर 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव द्वारा निर्मित है और इसे सूर्य देवता को समर्पित किया गया है। अपनी रथ के आकार की संरचना, विस्तृत नक्काशी, और स्थापत्य कला के […]

Continue Reading
कैलास लेणी

कैलास लेणी : सबसे बडा सुंदर शैलमंदिर

कैलास लेणी: महाराष्ट्र के वेरूळ का सबसे बडा और सुंदर शैलमंदिर। इसका मूल नाम कैलासनाथ है। राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग के शासनकाल में इस शिवमंदिर की छोटीसी शुरुआत की गई, जिसे बाद में कृष्णराज ने पूर्ण रूप दिया (आठवीं शताब्दी)। इसके बाद तीन-चार राजाओं के समय में मंदिर के चारों ओर मंडप, सरितामंदिर, लंकेश्वर लेणी और […]

Continue Reading
भवाई : लोकनृत्यनाट्य

भवाई: गुजरात-राजस्थान का एक पारंपरिक लोकनृत्यनाट्य

भवाई, गुजरात और राजस्थान के लोकनृत्यनाट्य का एक पारंपरिक प्रकार है। गुजराती साधु असाईत ठाकुर को भवाई का जनक माना जाता है। गुजराती भवाई नाटक की कथा अक्सर लोकगीतों पर आधारित होती है और इसे चार चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में हंसोली और नरवाहन का विवाह और दूसरे, तीसरे, और चौथे […]

Continue Reading
तांडव नृत्य

तांडव नृत्य (Tandav Nrutya)

तांडव नृत्य: एक प्राचीन शास्त्रीय नृत्य शैली. भरत ने नाट्यशास्त्र में नृत्य के दो रूप माने हैं, ‘मार्गी (आध्यात्मिक) और ‘देसी’ (भौतिक)। इनमें मार्गी में तांडव और देसी में लास्य शामिल है। एक पौराणिक कथा यह है कि शिव ने अपने शिष्य तंडू को जो नृत्य सिखाया और तंडूने उसे लोकप्रिय बनाया, वह तांडव नृत्य […]

Continue Reading