कूडियाट्टम

कूडियाट्टम : केरल की प्राचीन नाट्यकला

केरल की प्राचीन पारंपरिक लोकनाट्य कला। मंदिर के माध्यम से इस कला का प्रचार-प्रसार किया गया है। कूडियाट्टम का अर्थ है नृत्य और अभिनय एक साथ करना। इसमें पुरुष एवं महिला दोनों कलाकार एक साथ नृत्य प्रस्तुत करते हैं। कूडियाट्टम नृत्य के सभी संस्कार संस्कृत नाटकों से हैं। यह संगम युग के प्राचीन प्रदर्शन कोथु […]

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भवाई : लोकनृत्यनाट्य

भवाई: गुजरात-राजस्थान का एक पारंपरिक लोकनृत्यनाट्य

भवाई, गुजरात और राजस्थान के लोकनृत्यनाट्य का एक पारंपरिक प्रकार है। गुजराती साधु असाईत ठाकुर को भवाई का जनक माना जाता है। गुजराती भवाई नाटक की कथा अक्सर लोकगीतों पर आधारित होती है और इसे चार चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण में हंसोली और नरवाहन का विवाह और दूसरे, तीसरे, और चौथे […]

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