स्तूप

स्तूप: बौद्ध धर्मीय समाधिस्थान-पूजास्थान वास्तु

स्तूप बौद्ध धर्म में महत्वपूर्ण समाधिस्थान और पूजास्थान वास्तु है। ये ढांचे मुख्य रूप से भगवान बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित करने और उनकी याद में बनाए जाते हैं। स्तूपों का आकार सामान्यतः गुंबदाकार होता है, जिसमें एक आधार, गोलाकार गुंबद, और शीर्ष पर एक छत्र होता है। यह संरचना न केवल बौद्ध भिक्षुओं के […]

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फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी (fatepur sikri) : वास्तुकला की अकबरी शैली

फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश में स्थित, मुगल सम्राट अकबर द्वारा 16वीं शताब्दी में बसाया गया एक ऐतिहासिक नगर है। यह नगर अकबर की वास्तुकला की उत्कृष्ट शैली का प्रतीक है, जिसे अकबरी शैली कहा जाता है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित, फतेहपुर सीकरी की इमारतें भव्यता और सादगी का अद्भुत संगम हैं। इस नगर में […]

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गोलघुमट (गुंबद)

गोलघुमट (गुंबद) : गूँज का चमत्कार

बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिलशाह (1626-56) द्वारा बीजापुर की राजधानी स्थल पर बनवाया गया मकबरा ‘गोलघुमट’ (गुंबद) के नाम से जाना जाता है। इस घुमट में बोली गई आवाज की गूँज आमतौर पर दस से बारह बार स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती है, इसलिए इसे ‘बोलघुमट’ भी कहा जाता है। मुहम्मद आदिलशाह ने शुरू […]

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कोणार्क सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर : भारत प्रमुख वास्तुशिल्प कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा के कोणार्क में स्थित, भारत का एक प्रमुख वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक धरोहर है। यह मंदिर 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव द्वारा निर्मित है और इसे सूर्य देवता को समर्पित किया गया है। अपनी रथ के आकार की संरचना, विस्तृत नक्काशी, और स्थापत्य कला के […]

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कैलास लेणी

कैलास लेणी : सबसे बडा सुंदर शैलमंदिर

कैलास लेणी: महाराष्ट्र के वेरूळ का सबसे बडा और सुंदर शैलमंदिर। इसका मूल नाम कैलासनाथ है। राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग के शासनकाल में इस शिवमंदिर की छोटीसी शुरुआत की गई, जिसे बाद में कृष्णराज ने पूर्ण रूप दिया (आठवीं शताब्दी)। इसके बाद तीन-चार राजाओं के समय में मंदिर के चारों ओर मंडप, सरितामंदिर, लंकेश्वर लेणी और […]

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