कंप्यूटर की पीढ़ियां

कंप्यूटर की पीढ़ियां

इलेक्ट्रॉनिक संगणकों की प्रगति इलेक्ट्रॉनिकी के विकास के अनुसार हुई। कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर घटक, तार्किक संगठन और सॉफ्टवेयर या प्रोग्रामिंग तकनीकें इनके अनुसार ऐतिहासिक वर्गीकरण किया जाता है और इस समूह को कंप्यूटर की पीढ़ी कहा जाता है। इस प्रकार से कंप्यूटर की प्रगति में प्रत्येक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी चरण को पीढ़ी द्वारा दर्शाया जाता […]

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कंप्यूटर का इतिहास

कंप्यूटर का इतिहास

कंप्यूटर का इतिहास अद्वितीय और क्रांतिकारी प्रगति की कहानी है। 1617 में स्कॉटिश गणितज्ञ जॉन नेपियर ने गुणा-भाग की प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए लॉगरिदमिक डंडों की अवधारणा प्रस्तुत की। इसके बाद, 1642 में फ्रेंच वैज्ञानिक ब्लेज़ पास्कल ने पहला यांत्रिक गणना यंत्र बनाया। 19वीं सदी में, चार्ल्स बैबेज ने विश्लेषणात्मक इंजन की अवधारणा […]

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पोषक तत्वों की कमी का फसल पर प्रभाव

पोषक तत्वों की कमी का फसल पर प्रभाव

खेती भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और पौधों के पोषण की कमी से फसल की गुणवत्ता और उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विभिन्न पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधों में विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं जो अंततः फसल क्षति का कारण बनते हैं। नाइट्रोजन (Nitrogen) नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि के […]

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ग्वालियर रियासत

ग्वालियर रियासत: ब्रिटिशकालीन हिंदुस्तान के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक समृद्ध और बड़ी रियासत थी। इसका क्षेत्रफल लगभग 62,602 वर्ग किलोमीटर था और 1941 में इसकी जनसंख्या 40,00,000 से अधिक थी। रियासत की वार्षिक आय 3.85 करोड़ रुपये थी। रियासत का उत्तरी क्षेत्र, जो 42,550 वर्ग किलोमीटर में फैला था, सात जिलों में विभाजित […]

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कोटा रियासत

कोटा रियासत (Kota State)

कोटा रियासत: ब्रिटिश शासित भारत के राजस्थान में स्थित एक प्रसिद्ध राजपूत रियासत। इसका क्षेत्रफल 14,722 वर्ग किमी, जनसंख्या लगभग आठ लाख (1941) और वार्षिक आय लगभग तीन करोड़ दस लाख रुपये थी। रियासत की राजधानी कोटा में थी। कोटा रियासत की सीमाएँ उत्तर में जयपुर रियासत के अलीगढ़ के कुछ हिस्सों और टोंक से, […]

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गुलाबो सपेरा: अंतरराष्ट्रीय कालबेलिया नृत्यांगना

गुलाबो सपेरा: (1974). अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कालबेलिया नृत्यांगना. गुलाबो सपेरा को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कालबेलिया नर्तक के रूप में जाना जाता है। काबिल्या में कालबेलिया जाति के लोग रहते हैं। कबीले का बुजुर्ग व्यक्ति उनका नेता होता है। विवाह के समय पुरुष कलाकार पुंगी, ढोल बजाते हैं और महिलाएं पैरों में घंटियां बांधकर नृत्य करती […]

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कूडियाट्टम

कूडियाट्टम : केरल की प्राचीन नाट्यकला

केरल की प्राचीन पारंपरिक लोकनाट्य कला। मंदिर के माध्यम से इस कला का प्रचार-प्रसार किया गया है। कूडियाट्टम का अर्थ है नृत्य और अभिनय एक साथ करना। इसमें पुरुष एवं महिला दोनों कलाकार एक साथ नृत्य प्रस्तुत करते हैं। कूडियाट्टम नृत्य के सभी संस्कार संस्कृत नाटकों से हैं। यह संगम युग के प्राचीन प्रदर्शन कोथु […]

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अंकिया नाट

अंकिया नाट : असम राज्य पारंपरिक लोकनाट्य

अंकिया नाट: अंकिया नाट असम राज्य का एक पारंपरिक लोकनाट्य है। इस लोकनाट्य में नाट्य भाओना नाट्य अंगका प्रदर्शन किया जाता है। भाओना का मुख्य अर्थ भाओलोआ है, जिसका अर्थ है अभिनय के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करना। असम में सत्रों (मठों) में अंकिया नाट प्रदर्शन की परंपरा है। अंकिया नाट लोकनाट्य के प्रणेता […]

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माणिक्य रत्न (Ruby)

माणिक्यरत्न (Ruby) : आत्मविश्वास और साहस का प्रतिक

माणिक्य रत्न, जिसे अंग्रेजी में “Ruby” कहते हैं, उन रत्नों में से एक है जो अपनी अद्वितीय चमक और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। प्लिनी ने इसे कार्बुकुलस और थियोफ्रेटस एंथ्रेक्स कहा और दोनों शब्दों का अर्थ कोयला है। बाद में, अंग्रेजी नाम रूबी लैटिन शब्द से आया जिसका अर्थ लाल होता है। श्रीमद्भागवत गीता […]

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बूंदी चित्रशैली : भारतीय चित्रकला की समृद्ध धरोहर

बूंदी चित्रशैली, राजस्थान की एक प्रमुख और ऐतिहासिक चित्रकला की परंपरा है, जो 16वीं और 17वीं शताब्दी के दौरान विकसित हुई। यह चित्रशैली बूंदी रियासत के राजमहल और महलों की दीवारों पर उकेरी गई चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है। इसके चित्रों में प्रमुखत: धार्मिक, ऐतिहासिक और दरबारी दृश्यों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया […]

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